डा0सुरेन्द्र विक्रम के बहाने----
गुरुवार, 3 मई 2012
पुस्तक चर्चा—
पुस्तक--
हिन्दी बालसाहित्य
डा0सुरेन्द्र विक्रम का योगदान
लेखिका—डा0स्वाति शर्मा
प्रकाशक—हिन्दी साहित्य निकेतन
16,साहित्य विहार,बिजनौर(उ0प्र0)
फ़ोन—01342—263232
हिन्दी में बाल साहित्य तो आज बहुत प्रचुर मात्रा में लिखा जा रहा है।प्रकाशित भी हो रहा है। अब ये बात अलग है कि इनमें से कितनी किताबें बाल पाठकों तक पहुंच रही है और कितनी सिर्फ़ पुस्तकालयों की शोभा बढ़ा रही हैं।यदि प्रकाशित बाल साहित्य बच्चों तक पहुंच रहा है तो उनकी उस पर प्रतिक्रिया क्या है?उन्हें आज का बाल साहित्य स्वीकार्य है या नहीं?ऐसे ढेरों प्रश्न उठते हैं जब हम बाल साहित्य पर बात उठाते हैं।
पर इतना तो निश्चित है कि बाल साहित्य पर आलोचनात्मक और समीक्षात्मक किताबें कम लिखी गई हैं।बाल साहित्य पर शोध कार्य भी कम हुये हैं।इतना ही नहीं बाल साहित्य पर सोच विचार करने वाले चिन्तक और लेखक भी कम ही हैं।ऐसी स्थिति में किसी बाल साहित्यकार के पूरे कृतित्व पर केन्द्रित किसी नयी पुस्तक को पढ़ना अपने आप में एक अलग तरह के पाठकीय आनन्द से गुजरना कहा जायेगा। मुझे अभी हाल ही में प्रकाशित डा0स्वाति शर्मा की पुस्तक “हिन्दी बाल साहित् सुरेन्द्र विक्रम का योगदान” पढ़ने का अवसर मिला।
उपरी तौर पर पुस्तक के शीर्षक से तो यह भ्रम होता है कि यह किताब सिर्फ़ सुरेन्द्र विक्रम के ही ऊपर लिखी गई है।लेकिन वास्तविकता यह नहीं है।इस पुस्तक में सुरेन्द्र विक्रम और उनके द्वारा लिखे गये अब तक के बाल साहित्य के बहाने हिन्दी के सम्पूर्ण बाल साहित्य की पड़ताल भी की गई है।
पुस्तक कुल आठ अध्यायों में विभाजित की गई है।पहले अध्याय “बालसाहित्य की अवधारणा” में बालक,बाल साहित्य,स्वतन्त्रता के पूर्व हिन्दी बाल साहित्य,स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी बाल साहित्य की चर्चा के साथ ही बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं,तथा आज लिखे जा रहे बाल साहित्य का भी विश्लेषण किया गया है।
बाद के सात अध्यायों में क्रमशः डा0सुरेन्द्र विक्रम के व्यक्तित्व और कृतित्व,सुरेन्द्र विक्रम के बाल काव्य का वर्गीकरण,सुरेन्द्र विक्रम के बाल गीतों का शिल्प सौन्दर्य,सुरेन्द्र विक्रम का बाल कथा साहित्य,डा0सुरेन्द्र विक्रम द्वारा लिखे गये बाल साहित्य के आलोचनात्मक ग्रन्थ,बाल साहित्य के विकास में सुरेन्द्र विक्रम के योगदान,और सुरेन्द्र विक्रम के बाल साहित्य के वैशीष्ट्य पर विचार किया गया है।
मूलतः तो यह किताब एक शोध प्रबन्ध ही है। इसी विषय पर लेखिका डा0स्वाति शर्मा ने रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से पी एच डी की उपाधि प्राप्त की है। लेकिन इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसको लिखने में स्वाति शर्मा ने आम आलोचनात्मक ग्रन्थों से अलग हट कर एक नई तकनीक का प्रयोग किया है।वो यह कि इसके हर अध्याय में सुरेन्द्र विक्रम के बहाने बाल साहित्य की उस पूरी विधा पर पाठकों का ध्यान केन्द्रित किया गया है। य्दि सुरेन्द्र विक्रम के बाल गीतों की बात की जा रही है तो साथ ही बाल गीतों से जुड़े सभी कवियों की चर्चा और उनके बालगीतों के बाकायदा उद्धरण देकर उनका विश्लेषण किया गया है। दूसरी बात पुस्तक में कहीं बहुत ज्यादा अतिवाद का प्रयोग नहीं किया गया जैसा कि सामन्यतः किसी रचनाकार के ऊपर केन्द्रित पुस्तकों में होता है।इस दृष्टि से यह पुस्तक हिन्दी बाल साहित्य की एक उपलब्धि कही जायेगी।ड़ा0स्वाति शर्मा का यह कार्य निश्चय ही प्रशंसनीय है।
इन समस्त विशेषताओं के साथ ही इस ग्रन्थ में एकाध कमियां भी रह गयी हैं।पुस्तक के पहले अध्याय में जहां लेखिका ने बाल साहित्य की विधागत चर्चा की है। जिसमें---बाल-काव्य,बाल-कहानी,बाल-उपन्यास,बाल नाटक,बाल जीवनी साहित्य की विस्तृत चर्चा है।लेकिन वर्तमान समय में बाल साहित्य की एक लोकप्रिय विधा “चित्रात्मक कहानी”(इस विधा के लिये लिखना सम्भवतः अन्य विधाओं से ज्यादा कठिन है।) की चर्चा नहीं है।जबकि इस विधा में इधर छोटे बच्चों के लिये बहुत सी किताबें लिखी और प्रकाशित हो रही हैं। कई प्रकाशक और एन जी ओ इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं।
दूसरे प्रिण्ट के साथ ही इस समय इलेक्ट्रानिक माध्यमों द्वारा भी बच्चों के लिये बहुत कुछ किया जा रहा है। अगर हम टी वी और रेडियो को छोड़ भी दें तो भी इण्टरनेट पर लिखे जा रहे बच्चों के ब्लाग्स,ई0बुक्स या डिजिटल पुस्तकों का भी उल्लेख यहां होना जरूरी है।क्योंकि बच्चों का बहुत अच्छा साहित्य आज ब्लाग्स,सी डी,डिजिटल पुस्तकों के माध्यम से भी लिखा जा रहा है। और आने वाले कल में ये माध्यम भी प्रिन्ट के समकक्ष ही महत्वपूर्ण बन जायेंगे। उम्मीद है कि पुस्तक के अगले संस्करण में डा0स्वाति जी बाल साहित्य की इन विधाओं को भी शामिल करेंगी।
कुल मिलाकर “हिन्दी बाल साहित्य में डा0सुरेन्द्र विक्रम का योगदान” एक प्रशंसनीय कार्य कहा जायेगा। और डा0स्वाति शर्मा भविष्य में बाल साहित्य के लिये और बेहतरीन कार्य करेंगी।
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लेखिका-डा0स्वाति शर्मा
23 जून 1980 को जन्मी स्वाति शर्मा ने हिन्दी, संस्कृत में एम0ए0करने के पश्चात रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से "हिन्दी साहित्य में डा0सुरेन्द्र विक्रम का योगदान"विषय पर पी0एच0डी0 किया है।"शोध दिशा"सहित कसम्प्रति अध्यापन कर्य में संलग्न।ई पत्र पत्रिकाओं में आलेखों का प्रकाशन।इसके साथ ही कला,साहित्य और संस्कृति से सम्बन्धित विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन और संचालन में सहभागिता।
पुस्तक समीक्षा--डा0हेमन्त कुमार